किसी शहर में एक धर्मात्मा रहता था I वह सदा भागवतभक्ति में मगन रहता था I एक रात उस आदमी ने एक अजीब सा सपना देखा I उसने देखा , कि वह सागर किनारे अपने भगवान के साथ चला जा राहा है , और आकाश में , उसके जीवन के तमाम घटनाओं के दृश्य , एक- एक करके दृष्टीगोचर हो रहे हैं I प्रत्येक दॄष्योंके साथ -साथ, समुद्र के रेती पर , उसके पगचिह्नों के साथ , एक और जोड़ी पादचिह्न पड़ते जा रहे थे। इसका मतलब था , उसके आराध्य प्रभु भी उसके साथ चल रहे थे, और दूसरे पगचिह्न उन्ही के थे। धीरे -धीरे उसके जीवन का अंतिम पड़ाव आ गया। वह दृश्य सारे उसकी आँखोंके सामने से गुजरने पर ,उसने पलटकर रेती के पगचिह्नोंको देखा , तो देखकर हैरान रह गया , कि उसके जीवन-पथ में अनेक जगहों पर , दो की जगह एक ही जोड़ी पादचिह्न नज़र आ रहे थे। उसे यह भी पता चला कि , वे पगचिह्न , उन घड़ियोंके थे , जब वह किसी संकट एवं दुखी अवस्था में था। वे इस दिव्यानुभूति से विस्मित हो उठा , और आपने , अपने आराध्य...