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Showing posts from April, 2015

Sabdatharavali.(ശബ്ദതാരാവലി )

'धर्मात्माओंको सदा परमात्मा का एहसास'

किसी शहर में एक धर्मात्मा रहता था I वह सदा भागवतभक्ति में मगन रहता था I एक रात उस आदमी ने एक अजीब सा सपना देखा I उसने देखा , कि वह सागर किनारे अपने भगवान के साथ चला जा राहा है ,  और आकाश में , उसके जीवन के तमाम घटनाओं के दृश्य , एक- एक करके दृष्टीगोचर हो रहे हैं I प्रत्येक दॄष्योंके साथ -साथ,  समुद्र के रेती पर , उसके पगचिह्नों के साथ , एक और  जोड़ी पादचिह्न पड़ते जा रहे थे।    इसका मतलब था , उसके आराध्य प्रभु भी उसके साथ चल रहे थे, और  दूसरे पगचिह्न उन्ही के थे।  धीरे -धीरे उसके जीवन का अंतिम पड़ाव आ गया।  वह दृश्य सारे   उसकी आँखोंके सामने से   गुजरने पर ,उसने पलटकर रेती के  पगचिह्नोंको देखा , तो  देखकर हैरान रह गया ,  कि उसके जीवन-पथ में अनेक जगहों पर ,  दो की जगह एक ही जोड़ी पादचिह्न नज़र आ रहे थे।  उसे यह भी पता चला कि , वे पगचिह्न  ,    उन घड़ियोंके थे , जब वह किसी संकट एवं दुखी अवस्था में था। वे  इस दिव्यानुभूति  से  विस्मित हो उठा , और  आपने , अपने आराध्य...

Really nice rare picts

    Really nice rare picts                                                                                                                                                     ...

Fw: Really nice rare picts

          Really nice rare picts                                                                                                                                                     ...

Welcome to Punalur the city of water.

क्या मैं भारतीय नहीं हूँ ?

आज एक  धर्मनिरपेक्षतावादि से भेंट हुई। घूरने लगा मुझे  अकारण  कुछ  डरावना अंदाज़  से तो मैंने पूच्छा क्यों भाई घूर क्यों रहे हो ? तो वह कहने लगा , क्या मैं भारतीय नहीं हूँ ? अरे भाई मैंने कब कहा तुम भारतीय नहीं हो? फिर महाशय ने पुछा क्या तुमने चड्डी पहन रखा हैं ? होश उड़ गया  मेरा सुनते ही बात बेहुदा के।  मैंने हाथ जोड़कर रहम की भीख मांगने लगा। भाई चैन से बैठने दो  मुझे  । छोड़  दो  मुझे अपने हाल पे। । अब पहने चड्डी की ब्रांड रूपा या डॉलर । अरविन्द या मधुरा कोट के। । सुनने से पहले निकल आया मैं   जान बचा के। तब  मैंने उसे यह  बात कहने  को सोचा  पर कहा नहीं। आखिर जगह  गॉड'स ऑवन कंट्री जो ठहरा। जीवन नारकीय बनने को फिर देर नहीं लगेगा । तो अब मैंने वो बात आप को सुना रहा हूँ। तो सुनिए :-  रे परम कुटिल कुमारग गामी।  मनुरूपधारी कपट अंतरजामी। ।  देखि तेरी प्रभुताई ।  तिलु तेरी वडियाई । । मूढ़ जानी सठ छोड़ेॐ तोही।  लागेसी अधम पचारै मोही। । मृत्यु निकट आई तोही।  लागे अधम...

भक्तों के महत्व

 मद्भक्ता ये नरश्रेष्ठ मद्भक्ता मत्परायणा :  । मद्याजिनो मन्नियमास्तान प्रयत्नेन पूजयेत्। । तेषां तू पावनायाहं नित्यमेव युधिष्ठिरः । उभे संध्ये/धिष्ठामि ह्यस्कन्नं तद व्रतं मम। । तस्मादष्टाक्षरं मन्त्रम मद्भक्तैर्वीतकलमषै : । संध्याकाले तु जप्तव्यं सततं चाद्मशुद्धये। । अन्येषामपि विप्राणां किल्बिषं हि विनश्यति। उभे संध्ये/प्युपासीत तस्माद विप्रो विशुद्धये। । नरश्रेष्ठ ...!  जो मेरे भक्त हो , मेरे में मन लगानेवाले हो , मेरी  शरण में हो , मेरा पूजन करते हो , और नियमपूर्वक मुझ में  ही लगे रहते हो , उनका यत्नपूर्वक  पूजन करना चाहिए।  युधिष्ठिर  अपने उन भक्तोंको पवित्र  केलिए , मैं प्रतिदिन दोनों समय संध्या में व्याप्त रहता हूँ।  मेरा यह नियम कभी खंडित नहीं होता।  इसलिए मेरे भक्तोंको चाहिए कि , वे आत्मशुद्धि के लिए संध्या के समय निरंतर अष्टाक्षर मन्त्र ( ॐ  नमो नारायणाय ) का जप करते रहे।  संध्या और अष्टाक्षर मन्त्र का जाप करने से दुसरे मनुष्योंके भी पाप नष्ट हो जाते हैं।  इसलिए प्रत्येक व्यक्ति को दोनों काल की संध्या...

A different Jungle Book ..

Video: Happy Vishu to you all...!

SlideTalk Video: Happy Vishu to you all...! SlideTalk Video: Happy Vishu to you all...! https://youtu.be/ltnu9GQSPcQ  

पशु ,पक्षी और मृग आदि सभी प्राणि समझदार होते हैं।

केचिद्विवा तथा रात्रौ प्रनिन्स्तुल्यद्रुष्टयः। . ज्ञानिनो मनुजाः सत्यं किं तु ते न हि केवलम्। । . यतो हि ज्ञानिनः सर्वे पशुपक्षिमृगादयः। . ज्ञानं च तन्मनुष्याणां यत्तेषां मृगपक्षिणां। । मनुष्याणां च यत्तेषां तुल्यमन्यत्तथोभयोः। । कुछ प्राणि दिन में नहीं देखते  दुसरे रात में नहीं देखते तथा कुछ ऍसे  प्राणि हैं जो दिन और रात में बराबर देखते हैं। यह तो ठीक हैं मनुष्य समझदार होते हैं ; किंतु केवल वे ही नहीं होते।  पशु ,पक्षी और मृग आदि सभी प्राणि समझदार होते हैं।  मनुष्योंके समझ भी वैसी ही होती हैं , जैसी उन मृग और पक्षी आदि की होते हैं. तथा जैसी मनुष्यों की होती हैं ,वैसी  मृग-पक्षी आदि की होती हैं।  देवी भागवत अध्यायम -१ (४८ ,४९ ,५० ) കേചിദ്ദിവാ തഥാ രാത്റൗ പ്റാണിന സ്തുലൃദൃഷ്ടയ: ജ്ഞാനിനോ മനുജാ: സത്യം കിം തു തേന ഹി കേവലം യതോ ഹി ഞാനിന: സർവേ പശുപക്ഷിമൃഗാദയ: ജ്ഞാനം ച തന്മനുഷ്യാണാം യത്തേഷാം  മൃഗപക്ഷിണാം മനുഷ്യാണാം ച യത്തേഷാം തുല്യമന്യത്തഥോഽഭയോ : ചില പ്റാണികൽക്ക് പകൽ  കാഴ്ചയില്ല ,മറ്റു ചിലതിന് രാത്റിക്കാഴച്ചയും ഇല്ല പിന്നെ മറ്റു ചിലതിന് രാ -പക...

पशुपत्याष्टकं Pashupati Ashtakam - The octet on lord of all beings

ध्यानम् ध्यायेन्नित्यं महेशं रजतगिरिनिभं चारुचन्द्रावतंसं रत्नाकल्पोज्ज्वलाङ्गं परशुमृगवराभीतिहस्तं प्रसन्नम्  । पद्मासीनं समन्तात्स्तुतममरगणैर्व्याघ्रकृत्तिं वसानं विश्वाद्यं विश्वबीजं निखिलभयहरं पञ्चवक्त्रं त्रिनेत्रम ॥१॥ स्तोत्रम् पशुपतीन्दुपतिं धरणीपतिं भुजगलोकपतिं च सती पतिम्  । गणत भक्तजनार्ति हरं परं भजत रे मनुजा गिरिजापतिम् ॥१॥ न जनको जननी न च सोदरो न तनयो न च भूरिबलं कुलम्  । अवति कोऽपि न कालवशं गतं भजत रे मनुजा गिरिजापतिम् ॥ २॥ मुरजडिण्डिवाद्यविलक्षणं मधुरपञ्चमनादविशारदम्  । प्रथमभूत गणैरपि सेवितं भजत रे मनुजा गिरिजापतिम् ॥३॥ शरणदं सुखदं शरणान्वितं शिव शिवेति शिवेति नतं नृणाम्  । अभयदं करुणा वरुणालयं भजत रे मनुजा गिरिजापतिम् ॥४॥ नरशिरोरचितं मणिकुण्डलं भुजगहारमुदं वृषभध्वजम्  । चितिरजोधवली कृत विग्रहं भजत रे मनुजा गिरिजापतिम् ॥५॥ मुखविनाशङ्करं शशिशेखरं सततमघ्वरं भाजि फलप्रदम्  । प्रलयदग्धसुरासुरमानवं भजत रे मनुजा गिरिजापतिम् ॥६॥ मदम पास्य चिरं हृदि संस्थितं मरण जन्म जरा भय पीडितम्  । जगदुदीक्ष्य समीपभयाकुलं भजत रे मनुजा गिरिज...

മനസ്സില് മടിയുടെ സ്മരണകൾ ഉണർത്തിക്കൊണ്ട് വീണ്ടുമൊരു ഹർത്താൽ കൂടി , എല്ലാവർക്കുൻ സ്നേഹമസൃണമായ ' ഹർത്താൽ ദിനാശംസകൾ ....!

പെരുമാനൊരു മാതൊരുപാകൻ.

കൊങ്കുനാട്ടിലൊരു പൊട്ടക്കെണ - ണറ്റിങ്കലിരുന്നാ പ്പെരുമാനൊരു കഥ കോറി അച്ചടിച്ച പൊത്തകത്തിന്റെ മൊത്തം നൂറ്റുക്കെമ്പതും വിറ്റപോയപ്പം പെ൯ഗ്വിനൊന്നടിത്തട്ടീന്ന് പൊങ്ങിവന്നാ പൊത്തകമടിച്ചു മാറ്റീട്ടാ- ധുനിക സഭ്യ ഭാഷാ വിവർത്തന മൊണ്ടാക്കീ - ട്ടു പിന്നെ , മാക്റിക്കൂട്ടങ്ങളെ ക്കൊണ്ടാ- പ്പെരുമാനെക്കല്ലെറീക്കുന്ന വില്പ്പന തന്ത്റമോന്നു മെനഞ്ഞു എലക്കും മുള്ളിനും കേടുവരാണ്ട് മെനഞ്ഞോരടവിന്നൊടുവില് പോട്ടക്കെണററിലെ മുറിമൂക്കൻ പെരുമാൻ - ചേരമാൻ പെരുമാ , നേറുകൊണ്ട് ചുരുണ്ടപ്പം ഒറ്റ ഒറേൽ രണ്ടുവാളോന്നു ചോദിച്ചും - കൊണ്ടാ പെ൯ഗ്വിൻ പോട്ടക്കെണറ്റീന്ന് പൊട്ടക്കൊളത്തിലോട്ടോറ്റച്ചാട്ടം വിഢിപ്പെട്ടീൽ കഥയറിയാതാട്ടം കണ്ട കഴുതക്കൂട്ടം  ഞങ്ങൾ,  നാണം കെട്ടോർ നാട്ടവർ.   മനോജ്‌ കുറുപ്പ് പത്തനംതിട്ട  ആധുനിക വിപണന  തന്ത്റങ്ങൾ    elephant attack in God's own country...! Read more..   Jan 13, 2013 - The ship that was towing a naval barge from Kolkatta to a port near ... afloat around 100 metres away hit the Pamban Rail Bridge this morning,...

उद्धवगीता - श्रीमद्भागवत-Stop Suffering Your Freedom ...!

In Hindu mythology, Shri Hanuman is regarded as the God of power, strength and knowledge. He is known as the ‘param bhakt’ of lord Rama and is the incarnation of Lord Shiva. He was born to Kesari and Anjani on the Chaitra Shukla Purnima (Chaitra Shukla Purnima is the Full Moon Day on the Hindu Calendar Month of Chaitra) that is why, he is known as ‘KESERI NANDAN’ and ‘ANJANEYA’. The philosophy of epic Ramayana is incomplete without the understanding of the unfathomable devotion of Lord Hanuman for Shri Rama. As Hindu Mythology says, He was the incarnation of Lord Shiva the God of Destruction, the Third god of Hindu trinity (All this universe is in the glory of God, of Shiva, the God of Love. The heads and faces of men are His own and He is in the hearts of all (- Yajur Veda).Hanuman Jayanti is celebrated on in the Indian month of Chaitra on the Purnima tithi every year. Chaitra Shukla Purnima (Chaitra Shukla Purnima is the Full Moon Day on the Hindu Calendar Month of C...