The four yugas - eternal cosmic seasonal changes.-Click here to know more... With the manifestation of speech, fire also became manifested, and with the manifestation of nostrils the vital air, the breathing process and the sense of smell also became manifested.-Click to learn more.. Full text of "Siva Samhita" THE SIVA SAMHITA THE SIVA SAMHITA. - यथा हि पुरुषः पश्येदादर्- शे मुखमात्मनः- । एवं सुदर्शनद्वीपो दृश्यते चन्द्रमण्ड- ले॥ द्विरंशे पिप्पलस्तत्र द्विरंशे च शशो महान्।।- (भीम पर्व, महाभारत) Meaning:- अर्थ- जैसे पुरुष दर्पण में अपना मुख देखता है, उसी प्रकार यह द्वीप (पृथ्वी) चन्द्रमण्ड- ल में दिखाई देता है। इसके दो अंशों में पिप्पल(पीपल के पत्ते) और दो अंशों में महान शश (खरगोश) दिखाई देता है। Click here to read more.. His Holiness Tridandi Chinna Srimannarayana Ramanuja Jeeyar. In a lecture from 2011 delivered at the Indian Institute of Technology (IIT) Madras.Click the link to know more..
‘आसिन्धु सिन्धुपर्यन्ता यस्य भारत भूमिका. पितृभू: पुण्यभूश्चैव स वै हिन्दुरितीस्मृतः’ अर्थात – समुद्र से हिमालय तक भारत भूमि जिसकी पितृभूमि है जिसके पूर्वज यहीं पैदा हुए हैं व यही पुण्य भमिू है, जिसके तीर्थ भारत भूमि में ही हैं, वही हिन्दू है… A Hindu is a person who regards this land of Bharatavarsha, from the Indus to the seas as his Fatherland as well as his holy land, that is the cradle land of his religion.