जगत्रेक मन्त्रेण रामनाभिरक्षितम् रक्षितं। यह कण्ठे धारयतेत्तस्य करस्थाः सर्वसिद्धयः। । रामरक्षा स्तोत्रम -१३ शरण्यौ सर्वसत्वानां श्रेष्ठाम सर्वधनुष्पदाम्। रक्षः कलनिहन्तारौ त्रायेतां नौ रघूत्तमौ। । रामरक्षा स्तोत्रम -१६ विप्र धेनु सुर संत हिट लीन्ह मनुज अवतार। निज इच्छा निर्मित तनु, माया गुन गोपार।। गुरबानी १ )सभी जीअ तुम्हारे जी तूँ जिआ का दातारा। जीअ जंत्र सभ ता के हाथा। । दींन दइआल अनाथ को नाथु। । जिसु राखै तिसु कोई न मारै। । सो मूआ जिसु मानहु बिसारै। । तिसु तजि अवर कहा को जाई। । सभ सीरी एकु निरंजन राई। । जीअ की जुगति जा कै सभ हाथि। । अंतरि बाहरि जानहु साथि। । गन निधान बेअंत अपार। । नानक दास सदा बलिहार। । ( सुखमनी ) https://docs.google.com/document/d/18Sjzuw5EWsWzMov7hffg8G4o-v1AXZMbfv8fRWYA4So/pub
‘आसिन्धु सिन्धुपर्यन्ता यस्य भारत भूमिका. पितृभू: पुण्यभूश्चैव स वै हिन्दुरितीस्मृतः’ अर्थात – समुद्र से हिमालय तक भारत भूमि जिसकी पितृभूमि है जिसके पूर्वज यहीं पैदा हुए हैं व यही पुण्य भमिू है, जिसके तीर्थ भारत भूमि में ही हैं, वही हिन्दू है… A Hindu is a person who regards this land of Bharatavarsha, from the Indus to the seas as his Fatherland as well as his holy land, that is the cradle land of his religion.