जगत्रेक मन्त्रेण रामनाभिरक्षितम् रक्षितं।
यह कण्ठे धारयतेत्तस्य करस्थाः सर्वसिद्धयः। ।
रामरक्षा स्तोत्रम -१३
शरण्यौ सर्वसत्वानां श्रेष्ठाम सर्वधनुष्पदाम्।
रक्षः कलनिहन्तारौ त्रायेतां नौ रघूत्तमौ। ।
रामरक्षा स्तोत्रम -१६
विप्र धेनु सुर संत हिट लीन्ह मनुज अवतार।
निज इच्छा निर्मित तनु, माया गुन गोपार।।
गुरबानी
१ )सभी जीअ तुम्हारे जी तूँ जिआ का दातारा।
जीअ जंत्र सभ ता के हाथा। ।
दींन दइआल अनाथ को नाथु। ।
जिसु राखै तिसु कोई न मारै। ।
सो मूआ जिसु मानहु बिसारै। ।
तिसु तजि अवर कहा को जाई। ।
सभ सीरी एकु निरंजन राई। ।
जीअ की जुगति जा कै सभ हाथि। ।
अंतरि बाहरि जानहु साथि। ।
गन निधान बेअंत अपार। ।
नानक दास सदा बलिहार। ।( सुखमनी )
https://docs.google.com/document/d/18Sjzuw5EWsWzMov7hffg8G4o-v1AXZMbfv8fRWYA4So/pub
यह कण्ठे धारयतेत्तस्य करस्थाः सर्वसिद्धयः। ।
रामरक्षा स्तोत्रम -१३
शरण्यौ सर्वसत्वानां श्रेष्ठाम सर्वधनुष्पदाम्।
रक्षः कलनिहन्तारौ त्रायेतां नौ रघूत्तमौ। ।
रामरक्षा स्तोत्रम -१६
विप्र धेनु सुर संत हिट लीन्ह मनुज अवतार।
निज इच्छा निर्मित तनु, माया गुन गोपार।।
गुरबानी
१ )सभी जीअ तुम्हारे जी तूँ जिआ का दातारा।
जीअ जंत्र सभ ता के हाथा। ।
दींन दइआल अनाथ को नाथु। ।
जिसु राखै तिसु कोई न मारै। ।
सो मूआ जिसु मानहु बिसारै। ।
तिसु तजि अवर कहा को जाई। ।
सभ सीरी एकु निरंजन राई। ।
जीअ की जुगति जा कै सभ हाथि। ।
अंतरि बाहरि जानहु साथि। ।
गन निधान बेअंत अपार। ।
नानक दास सदा बलिहार। ।( सुखमनी )
https://docs.google.com/document/d/18Sjzuw5EWsWzMov7hffg8G4o-v1AXZMbfv8fRWYA4So/pub