जब कृष्ण जिंदा थे तो कौन हिन्दू था ? हिन्दू शब्द भी नहीं था। जब कोई जीवित गुरु मौजूद होता हैं, तब ध्रर्म विशेषण -रहित होता हैं। जब गुरु विदा हो जाता हैं , धीरे-धीरे पंडित-पुरोहित इकट्ठे होते हैं ,फिर विशेषण महत्वपूर्ण होने लगता हैं। जहाँ विशेषण बहुत महत्वपूर्ण हो जाये , निकल भागना। अब वहाँ कुछ भी नहीं हैं - राख हैं। अंगारा बुझ चुका । और जिसके ह्रदय में परमात्मा विरह की छुरी चुभ गयी ,अब किसी औषधि से यह बात हल होनेवाली नहीं हैं। अब यह कोई इलाज से किसी औषधि से यह हल नहीं होगी । पश्चिम में हज़ारों तरह की बीमारियोंका इलाज खोजा जाता हैं। लेकिन अभी पश्चिम में इस बीमारी के सम्बन्ध में कुछ ख़याल नहीं हैं। पश्चिमके चिकित्सकोंको ,कि ऐसी भी बीमारी होती हैं - भक्त की बीमारी , प्रेमी की बीमारी - जिसका कोई इलाज इस संसार में नहीं हैं। जापान इ झेन की हज़ारों साल की परंपरा के बाद ऐंसा अनुभव जापानके डाक्टरोंको होना शुरू हुआ कि कुछ लोग एक अजीब तरह की बीमारी से ग्रसित हो जाते हैं , जिसका पागलपन कोई संबन्ध हैं , लेकिन पागलपन जैसी लगती हैं , तो जापान अकेला मुल्क हैं साड़ी द