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Breast milk ice cream....! Mr. Lucky this is for you...!


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LONDON(Reuters Life...) - A specialist ice cream parlor plans to serve up breast milk ice cream and says people should think of it as an organic, free-range treat.

Icecreamists founder Matt O'Connor was confident his take on the "miracle of motherhood" and priced at a hefty 14 pounds ($23) a serving will go down a treat with the paying public.


Comments

MANOJKURUP said…
"If these ladies really wanted to do something for the society they can feed their breast milk to those babies who have lost their mother as soon as they landed in this world...!"

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अर्चिरादि मार्ग

प्राणियों केलिए वर्त्तमान शरीर को त्याग कर इस लोक से परलोक में जाने के, वेदों में  दो मार्ग बताये गये  हैं - एक देवयान और दूसरा पितृयान।  देवयान मार्ग शुक्ल और दीप्तिमय हैं तो , पितृयान कृष्ण और  अन्धकारमय हैं।  इसीका गीता में भी प्रतिपादन किया गया हैं :- शुक्लकृष्णे गती ह्येते जगतः शाश्वते मते । एकया यात्यनावृत्तिमन्ययावर्तते पुनः ॥ ८.२६ ॥ क्योंकि शुक्ल और कृष्ण – ये दोनों गतियाँ अनादिकालसे जगत् – (प्राणिमात्र) के साथ (सम्बन्ध रखनेवाली) मानी गयी हैं । इनमें से एक गति में जानेवाले को लौटना नहीं पड़ता और दूसरी गति में जानेवाले को पुनः लौटना पड़ता है । (८.२६) शुक्ल अधवा देवयान को अनावृत्ति ( मुक्ति) मार्ग और कृष्ण ( पितृयान )को पुनरावृत्ति मार्ग बताया गया हैं।  इस मुक्ति मार्ग को ही अर्चिरादि मार्ग कहते हैं।  अर्चि अग्नि को कहते हैं जो प्रकाश कारक हैं।   अर्चिरहः सितः पक्ष उत्तरायण वत्सरो।  मरुद्रवीन्दवो विद्युद्वरुणेंद्र चतुर्मुखाः। । एते द्वादश धीराणां परधामा वाहिकाः।  वैकुण्ठ प्रापिका विद्युद्वरुणा देस्त्वनुग्रहे।।...

अर्चिरादि मार्ग

प्राणियों केलिए वर्त्तमान शरीर को त्याग कर इस लोक से परलोक में जाने के, वेदों में  दो मार्ग बताये हाय हैं - एक देवयान और दूसरा पितृयान।  देवयान मार्ग शुक्ल और दीप्तिमय हैं तो , पितृयान कृष्ण और  अन्धकारमय हैं।  इसीका गीता में भी प्रतिपादन किया गया हैं :- शुक्लकृष्णे गती ह्येते जगतः शाश्वते मते । एकया यात्यनावृत्तिमन्ययावर्तते पुनः ॥ ८.२६ ॥ क्योंकि शुक्ल और कृष्ण – ये दोनों गतियाँ अनादिकालसे जगत् – (प्राणिमात्र) के साथ (सम्बन्ध रखनेवाली) मानी गयी हैं । इनमें से एक गति में जानेवाले को लौटना नहीं पड़ता और दूसरी गति में जानेवाले को पुनः लौटना पड़ता है । (८.२६) शुक्ल अधवा देवयान को अनावृत्ति ( मुक्ति) मार्ग और कृष्ण ( पितृयान )को पुनरावृत्ति मार्ग बताया गया हैं।  इस मुक्ति मार्ग को ही अर्चिरादि मार्ग कहते हैं।  अर्चि अग्नि को कहते हैं जो प्रकाश कारक हैं।  अर्चिरहः सितः पक्ष उत्तरायण वत्सरो। मरुद्रवीन्दवो विद्युद्वरुणेंद्र चतुर्मुखाः। । एते द्वादश धीराणां परधामा वाहिकाः। वैकुण्ठ प्रापिका विद्युद्वरुणा देस्त्वनुग्रहे।।   ब्रह्मज्ञानी मु...