जप के विधि - जप करना कैसे...?ജപിക്കേണ്ടത് എങ്ങനെ ....?


' यज्ञानां जपयज्ञोस्मि ' ( यज्ञोमे जपयज्ञ मैं ही हूँ - भगवान श्री कृष्ण - श्रीमद भगवत गीता ).
 जप तीन प्रकार के हैं।  साधारण ( वाचिकम , उपांशु और  मानसं ) . 
"विधियज्ञा पयज्ञो विशिष्टो दशभिर्गुणै। 
 उपांशु: स्याच्छतगुणः साहस्रो मानसस्मृतः" ( मनु स्मृति )
दर्श - पौर्णमासादि विधि यज्ञोंसे साधारण जपयज्ञ दश गुण श्रेष्ठ हैं, उपांशु जप सौ गुण श्रेष्ठ हैं और मानस जप हज़ार गुण श्रेष्ठ हैं।  जो फल साधारण जपके हज़ार मंत्रोंसे होता हैं वहीँ फल उपांशु जपके सौ मंत्रोंसे और मानस जपके एक मन्त्र से हो जाता हैं।  उच्च स्वर से होनेवाले जपको साधारण ( वाचिक जप) कहते हैं । जिसमे जीभ और होंठ हिलते हैं परन्तु शब्द अन्दर ही  रहता हैं , वह उपांशुं जप हैं और जिसमें न जीभ के हिलाने की अवश्यकता  हैं होती हैं और होंठ के , वह मानस जप कहलाता हैं।
   अतएव जहाँ मंत्रकी भावना हैं।  नाम की दृष्टी में यह बात नहीं हैं, वहाँ तो  चाहे जैसे भी जपे - सभी प्रकार मंगल मय  हैं।  कोई विधि- निषेध हैं ही नहीं।  यह नाम का अलौकिक महिमा हैं।  भगवन्नाम में शुद्धि- अशुद्धि की भी कोई बात नहीं हैं।
अपवित्रः पवित्रो व सर्वावस्थां गतोഽअपि वा। यः स्मरेत् पुण्डरीकाक्षं स बाह्यभ्यन्तरः शुचिः।।
अपवित्र हो , पवित्र हो , किसी भी अवस्था में क्यों न हो , भगवान पुण्डरीकाक्ष का स्मरण करते ही बाहर और भीतर की शुद्धि हो जाती हैं।  जल मृतिकासे केवल बाहर की ही शुद्धि होती हैं परन्तु भगवन्नाम अन्तर के मालोंको भी अशेष रूपसे धो डालता हैं , इसका किसी केलिए किसी अवस्था में कोई निषेध नहीं हैं।
 
पुरुष, नपुंसक, नारी व जीव चराचर कोई।
सर्वभाव भज कपट तजि मोही परम प्रिय सोयी।।
     
മഹർഷിമാരിൽ ഭൃഗു  ഞാനാണ് . വാക്കുകളി ' ഓം ' എന്ന ഏകാക്ഷര പദം  ഞാനാകുന്നു . ചിത്തശുദ്ധിക്കായുള്ള യജ്ഞങ്ങളിൽ ' ജപയജ്ഞം ' ഞാനാകുന്നു . സ്ഥാവര ദൃശ്യങ്ങളിൽ ഞാൻ ഹിമാലയമാകുന്നു .
ജപം മനസിനെ എകാഗ്രമാക്കുന്നു. മൂന്നു വിധത്തിൽ ജപിക്കാം (1). വാചികം (2). ഉപാംശു (3). മാനസം.ഉച്ചസ്വരത്തിൽ , ഉറക്കെ ജപിക്കുന്ന രീതിയാണ് ' വാചികം ' സ്വരങ്ങളോടു കൂടി അക്ഷരങ്ങളും പദങ്ങളും സ്പഷ്ടമായി ഉച്ചരിച്ച്,പതിഞ്ഞ ശബ്ദത്തിൽ  ജപിക്കുന്നതാണ് ' ഉപാംശു ', വാക്കും അർത്ഥ വും ധ്യാനിച്ച്‌ മനസുകൊണ്ട് ജപിക്കുന്നതാണ് ' മാനസം ' ഇവ മൂന്നും ഉത്തരോത്തരം ഫലസിദ്ധി ഉള്ളതാണ്...!.



Comments

Popular posts from this blog

अर्चिरादि मार्ग

ഒരു പ്രാണിയേയും വിദ്വേഷിക്കാതെയും....

Nothing to beat Indians in knowledge....!