आपो नारा इति प्रोक्ता आपो वै नरसूनवः I
अयनं मम तत् पूर्वमतो नारायणोह्यहं II

महाभारतं - शान्ति - मोक्ष -
नर से उत्पन होने के कारण जल को  ' नार ' कहा गया हैं I  वह नार ( जल ) पहले मेरा निवासस्थान था ; इसलिए ही मैं ' नारायण ' कहलाता हूँ  I
एकः शास्ता , न द्वितीयोഽस्ति शास्ता
यो हृच्छायस्तमहंमनुब्रवीमि II

महाभारतं -
जगत का शासक एक ही हैं  दूसरा नहीं।  जो ह्रदय के भीतर विराजमान हैंI    उस परमात्मा को ही मैं सब का शासक ब
ला रहा हूँ।

अर्जुन यह शरीर ' क्षेत्र ' इस नामसे कहा जाता हैं ; और इसको जो जानता हैं उसको  ' क्षेत्रज़ ' इस नाम से उनके तत्व को जाननेवाले   ज्ञIनीजन कहता हैं I



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