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Sabdatharavali.(ശബ്ദതാരാവലി )

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'धर्मात्माओंको सदा परमात्मा का एहसास'

किसी शहर में एक धर्मात्मा रहता था I वह सदा भागवतभक्ति में मगन रहता था I एक रात उस आदमी ने एक अजीब सा सपना देखा I उसने देखा , कि वह सागर किनारे अपने भगवान के साथ चला जा राहा है ,  और आकाश में , उसके जीवन के तमाम घटनाओं के दृश्य , एक- एक करके दृष्टीगोचर हो रहे हैं I प्रत्येक दॄष्योंके साथ -साथ,  समुद्र के रेती पर , उसके पगचिह्नों के साथ , एक और  जोड़ी पादचिह्न पड़ते जा रहे थे।    इसका मतलब था , उसके आराध्य प्रभु भी उसके साथ चल रहे थे, और  दूसरे पगचिह्न उन्ही के थे।  धीरे -धीरे उसके जीवन का अंतिम पड़ाव आ गया।  वह दृश्य सारे   उसकी आँखोंके सामने से   गुजरने पर ,उसने पलटकर रेती के  पगचिह्नोंको देखा , तो  देखकर हैरान रह गया ,  कि उसके जीवन-पथ में अनेक जगहों पर ,  दो की जगह एक ही जोड़ी पादचिह्न नज़र आ रहे थे।  उसे यह भी पता चला कि , वे पगचिह्न  ,    उन घड़ियोंके थे , जब वह किसी संकट एवं दुखी अवस्था में था। वे  इस दिव्यानुभूति  से  विस्मित हो उठा , और  आपने , अपने आराध्य...

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Really nice rare picts

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Fw: Really nice rare picts

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          Really nice rare picts                                                                                                                                                     ...

Welcome to Punalur the city of water.

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क्या मैं भारतीय नहीं हूँ ?

आज एक  धर्मनिरपेक्षतावादि से भेंट हुई। घूरने लगा मुझे  अकारण  कुछ  डरावना अंदाज़  से तो मैंने पूच्छा क्यों भाई घूर क्यों रहे हो ? तो वह कहने लगा , क्या मैं भारतीय नहीं हूँ ? अरे भाई मैंने कब कहा तुम भारतीय नहीं हो? फिर महाशय ने पुछा क्या तुमने चड्डी पहन रखा हैं ? होश उड़ गया  मेरा सुनते ही बात बेहुदा के।  मैंने हाथ जोड़कर रहम की भीख मांगने लगा। भाई चैन से बैठने दो  मुझे  । छोड़  दो  मुझे अपने हाल पे। । अब पहने चड्डी की ब्रांड रूपा या डॉलर । अरविन्द या मधुरा कोट के। । सुनने से पहले निकल आया मैं   जान बचा के। तब  मैंने उसे यह  बात कहने  को सोचा  पर कहा नहीं। आखिर जगह  गॉड'स ऑवन कंट्री जो ठहरा। जीवन नारकीय बनने को फिर देर नहीं लगेगा । तो अब मैंने वो बात आप को सुना रहा हूँ। तो सुनिए :-  रे परम कुटिल कुमारग गामी।  मनुरूपधारी कपट अंतरजामी। ।  देखि तेरी प्रभुताई ।  तिलु तेरी वडियाई । । मूढ़ जानी सठ छोड़ेॐ तोही।  लागेसी अधम पचारै मोही। । मृत्यु निकट आई तोही।  लागे अधम...