गुरगृहाँ गये पढ़न रघुराई।

गुरगृहाँ गये पढ़न रघुराई।   अलप काल सब विद्या आई। ।
जाकी सहज स्वास श्रुति चारी।  सो हरि पढ़ यह कौतुक भारी।। 
विद्या विनय निपुण गुन सीला।  खेल हि खेल सकल नृप सीला।। 
करतल बाण धनुष आति सोहा।  देखत रूप चराचर सोहा।। 
जिन्ह बीथिन्ह बिहरहि सब भाई।  थकित होहि सब  लोग लुगाई।।

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