““अंधे आगू नर राणे, प्रेरे अंधे मार्ग ड़ारे अंधे भावधि गहिरे बूडत , क्यूँ कर उतरहि पारे “
जिन्हें स्वयं अपने मार्ग का पता नहीं, वह नेता लोग प्रजा का क्या मार्गदर्शन करेंगे ….!. स्वयं अंधकूप में गिरेंगे ही साथ जनता को भी ले डूबेंगे …..!”” - श्री चन्द्र जी
““राज नरन पित सन्मुख कन्या घर कर भोग कमायो मात पिता सुत पेखन लूटी , न्याय द्धन्दोर पिटायो..!” अगर कोई साहस बटोर कर न्याय केलिए गुहार करे उस बहिन बेटी की ऐसी दुर्गति की जाती हैं, की वह स्वयं को भी मुह दिखाने लायक नहीं रहती …!. ऐसी लुटी हुई ओउरतों के लिए वेश्या वृति ही फिर निवृति…!.”
- सद्गुरु श्रीचन्द्र जी
जिन्हें स्वयं अपने मार्ग का पता नहीं, वह नेता लोग प्रजा का क्या मार्गदर्शन करेंगे ….!. स्वयं अंधकूप में गिरेंगे ही साथ जनता को भी ले डूबेंगे …..!”” - श्री चन्द्र जी
““राज नरन पित सन्मुख कन्या घर कर भोग कमायो मात पिता सुत पेखन लूटी , न्याय द्धन्दोर पिटायो..!” अगर कोई साहस बटोर कर न्याय केलिए गुहार करे उस बहिन बेटी की ऐसी दुर्गति की जाती हैं, की वह स्वयं को भी मुह दिखाने लायक नहीं रहती …!. ऐसी लुटी हुई ओउरतों के लिए वेश्या वृति ही फिर निवृति…!.”
- सद्गुरु श्रीचन्द्र जी
vedas from Bala Datta Bhajan group on Vimeo.
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