उस समय अचानक मेरी दॄष्टी अपने सीट के ऊपर,दीवार पर खींचे गए लिखावट पर पड़ी - " विकलांग ". अब मैंने मन ही मन यह सोचने लगा " आखिर इस समाज में हिजड़ोंको, विकलांग के दर्जा क्यों नहीं ? क्योंकि कुलत्तूप्पुषा, जो केरल के एक विख्यात महामंदिर हैं, जहाँ प्रतिदिन हज़ारों भक्त दर्शन हेतु पहूँच जाते हैं, अन्य प्राँतोंसे भी , उस मंदिर से, प्राय दस मील दूर रहता स्थानीय व्यक्ति ' जॉय ' , उक्त मंदिर से बिलकुल अपरिचित एवं नावाकिफ़ था। क्या आया भाईयों कुछ समझ ....?
The Lord Ayyappa Temple at Kulathupuzha near Thenmala in Kollam District of Kerala is an important shrine visited by Ayyappa devotees ..
http://kurup-man.podomatic.com/entry/2015-01-1
दो :-भनिति मोरी सबगुन रहित बिस्व बिदित गुन एक।
सो बिचारि सुनिहहिं सुमति जिन्ह कें बिमल बिबेक।
कबि न होऊँ नहीं बचन प्रबीनु।
सकल कला सब बिद्या हीनु।।
अखर अरध अलंकृति नाना।
छंद प्रबंध अनेक बिधाना।।
भाव भेद रस भेद अपारा।
कबिद दोष गुन बिबिध प्रकारा।।
कबिद बिबेक एक नहिं मोरें।।
सत्य कहउँ लिखि कागद कोरें।।
छमिहहि वो सज्जन मोरि ढिठाई।
सुनिहहिं बालबचन मन लाई।।
जौ बालक कह तोतरी बाता।
सुनहि मुदित मन पितु अरु माता।।
हसिहहिं कूर कुटिल कुबिचारी।
जे परदूषन भूषनधारी।।
खल परिहास होई हित मोरा।
काक कहहिं कलकंठ कठोरा।।
भाषा भनिति भोरि मति मोरी।
हसिबे जोग हसे नहिं खोरी।।
गुन अवगुन जानत सब कोई।
जो जेहि भाव नीक तेहि सोई।।
प्रभु पद प्रीति न समुझि नीकी।
तिन्हहि सुनि लागिहि फीकी।।
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